गेहूं निर्यात का दरवाज़ा खुलेगा? सरकार ने दिया सकारात्मक इशारा
केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि वह आटा और सूजी जैसे गेहूं उत्पादों के निर्यात की उद्योग जगत की मांग पर सकारात्मक विचार करेगी, लेकिन साथ ही यह स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहेगी।
खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बुधवार को रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMF) की 85वीं वार्षिक आम बैठक में कहा, “निर्यात से जुड़े निर्णयों में कई मंत्रालय शामिल होते हैं और हमें अगले साल के गेहूं उत्पादन को ध्यान में रखना होगा। उपभोक्ता हित और खाद्य सुरक्षा को देखते हुए हम इस मुद्दे पर सकारात्मक रूप से विचार करेंगे।”
भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। सरकार ने 2022 में घरेलू खाद्य सुरक्षा, कमजोर फसल और बढ़ती महंगाई की वजह से गेहूं और इसके उत्पादों के निर्यात पर रोक लगा दी थी। कृषि मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि 2024-25 (जुलाई-जून) फसल वर्ष में गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड 117.5 मिलियन टन रहेगा, जो पिछले साल से 3.7% अधिक है।
मिलर्स की मांग: बढ़े बफर स्टॉक
फ्लोर मिलर्स ने सरकार से मांग की है कि वर्तमान 7.5 मिलियन टन के बफर मानक को बढ़ाकर सीजन की शुरुआत में ही पूरे साल की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की जरूरतों के बराबर स्टॉक रखा जाए।
RFMF के अध्यक्ष नवीन चितलांगिया ने कहा, “भारत को हर साल लगभग 18.4 मिलियन टन गेहूं की जरूरत होती है। हम सुझाव दे रहे हैं कि सरकार सीजन की शुरुआत में ही एक साल की जरूरत के बराबर स्टॉक बनाए, ताकि बाजार में निश्चितता बनी रहे और दामों में उतार-चढ़ाव न हो।”
उनका मानना है कि यह कदम बाजार को स्थिर करेगा, हालांकि इससे केंद्र सरकार पर सब्सिडी और भंडारण का बोझ बढ़ सकता है।
बाढ़ का असर बोवाई पर
चितलांगिया ने यह भी कहा कि उत्तरी राज्यों, खासकर पंजाब में इस साल गेहूं की बोवाई में देरी हो सकती है। हाल ही में आई बाढ़ से खेतों में गाद भर गई है और कम से कम पांच जिलों में यह अभी तक साफ नहीं हो पाई है।