पंजाब-हरियाणा की बाढ़ से बासमती को झटका, निर्यातक अब यूपी-एमपी की ओर!
पंजाब और हरियाणा में आई बाढ़ ने देश के सबसे बड़े लंबे दाने वाले चावल (बासमती) उत्पादक राज्यों को बड़ा नुकसान पहुँचाया है। इसके चलते बासमती निर्यातक अब उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों से खरीदी बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि इस साल अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में मांग तेज़ रहने की उम्मीद है।
केएनएएम ग्रुप के संस्थापक और समूह प्रबंध निदेशक अमित गोयल ने मिंट से बातचीत में कहा, “पंजाब और हरियाणा में आई बाढ़ ने तुरंत प्रभाव में फसल और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी चुनौतियां पैदा की हैं। हालांकि फसल नुकसान का सटीक आकलन अभी मुश्किल है, लेकिन निर्यातक पहले ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से अतिरिक्त खरीदारी की योजना बना रहे हैं ताकि कमी को पूरा किया जा सके।”
पंजाब और हरियाणा मिलकर देश की कुल बासमती उत्पादन का लगभग 75% योगदान देते हैं। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) के अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारत से 6.5 मिलियन टन बासमती निर्यात होने की संभावना है, जो 2024-25 में 6.06 मिलियन टन (लगभग 5.94 अरब डॉलर मूल्य) से अधिक है।
एआईआरईए के अध्यक्ष सतीश गोयल ने कहा, “प्रारंभिक अनुमान बताते हैं कि पंजाब में नुकसान करीब 10-15% तक है, लेकिन हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अच्छी पैदावार इसे संतुलित कर सकती है।” उन्होंने बताया कि अंतिम सर्वेक्षण अक्टूबर के पहले सप्ताह तक पूरा होने की संभावना है।
हालांकि, अमेरिकी टैरिफ भारतीय कृषि उत्पादों के निर्यात के लिए चुनौती बने हुए हैं। निर्यातकों का मानना है कि अमेरिका से होने वाले निर्यात में कमी को मध्य-पूर्व, यूरोप और एशिया जैसे पारंपरिक बाज़ारों की ओर मोड़ा जाएगा। साथ ही अफ्रीकी देशों, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे नए बाज़ारों में भी संभावनाएं तलाश की जा रही हैं।
अप्रैल-अगस्त 2025 के दौरान बासमती निर्यात 15% बढ़कर 3.1 मिलियन टन (वॉल्यूम के आधार पर) और 16% बढ़कर 1.74 अरब डॉलर (वैल्यू के आधार पर) तक पहुँच गया है। कीमतों में वृद्धि ने मूल्य वृद्धि को वॉल्यूम वृद्धि से अधिक कर दिया है।
हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन ने बताया, “नई फसल राज्य की मंडियों में आना शुरू हो गई है। इस बार कीमतें करीब 3,200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं, जबकि पिछले साल 2,800-2,900 रुपये प्रति क्विंटल थीं।”
एआईआरईए के पहले सर्वे के अनुसार, इस साल पंजाब में बासमती का रकबा घटकर 7.6 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो पिछले साल 10.04 लाख हेक्टेयर था। वहीं हरियाणा में 9.35 लाख हेक्टेयर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 7.63 लाख हेक्टेयर, मध्य प्रदेश में 6.55 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 2.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बासमती की खेती की गई है।
अनविक वैल्यू चेन के रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ धर्मेश वर्मा ने कहा, “इस साल कुल बासमती रकबा 34.44 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल यह 37.28 लाख हेक्टेयर था। हालांकि बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र का सही आकलन अभी बाकी है।”