पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला हाइब्रिड धान पर: किसानों को राहत, मिलर्स नाराज़
By M&M Bureau
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसके तहत Pusa-44 और हाइब्रिड धान किस्मों की बुआई पर रोक लगाई गई थी। अदालत का यह फैसला किसानों के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन आगामी धान खरीद सीजन में बड़ा टकराव खड़ा कर सकता है। राज्य के चावल मिलर्स ने साफ कर दिया है कि वे हाइब्रिड धान की मिलिंग स्वीकार नहीं करेंगे।
पंजाब सरकार ने पिछले साल इन किस्मों पर प्रतिबंध लगाया था। सरकार का कहना था कि Pusa-44 जैसी लंबी अवधि वाली किस्म भूजल को तेजी से खत्म करती है, जबकि मिलर्स ने हाइब्रिड धान में 45-50% तक ब्रेकेज की वजह से वित्तीय नुकसान का हवाला दिया था। हालांकि, किसानों ने कई इलाकों में इन किस्मों की बुआई जारी रखी, खासकर मुक्तसर, फाजिल्का और मानसा जैसे जिलों में, जहां खारा पानी और जलभराव की समस्या है।
पंजाब राइस इंडस्ट्री के अध्यक्ष भरत भूषण बिंटा ने कहा कि हाइब्रिड धान की मिलिंग वित्तीय रूप से व्यवहारिक नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि Food Corporation of India (FCI) को ब्रेकेज मानकों में ढील देनी चाहिए ताकि मिलर्स को नुकसान न झेलना पड़े।
TOI से बातचीत में पंजाब राइस इंडस्ट्री एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रंजीत सिंह जोसन ने कहा, “हाइब्रिड धान की मिलिंग से केवल 55-57% हेड राइस ही निकलता है, जबकि मानक 67% है। इससे हमें मजबूरन अतिरिक्त चावल ऊंचे दाम पर खरीदना पड़ता है ताकि सरकार को तय अनुपात में डिलीवरी पूरी हो सके।”
पिछले साल भी मिलर्स ने PR-126 और हाइब्रिड धान की मिलिंग से कम आउट-टर्न रेशियो (OTR) का मुद्दा उठाया था। किसानों ने आरोप लगाया था कि मिलर्स उनके उत्पाद को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर खरीद रहे हैं, जिससे उन्हें घाटा उठाना पड़ा, भले ही पैदावार अच्छी रही हो।
इस बीच, मिलर्स अब उस IIT खड़गपुर की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं, जिसमें पिछले साल तीन मिलों में हाइब्रिड धान का OTR जांचा गया था। उनका कहना है कि जब तक सरकार स्पष्ट मानक नहीं तय करती, तब तक हाइब्रिड धान की खरीद पर गतिरोध बना रहेगा।