मंडी टैक्स हटाओ, दाल उद्योग बचाओ! — मध्य प्रदेश के दल मिलर्स ने लगाई सरकार से गुहार
By M&M Bureau
मध्य प्रदेश के दल मिल मालिकों ने राज्य सरकार से एक बड़ी राहत की मांग की है। ऑल इंडिया दल मिल्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से अपील की है कि एमएसएमई विभाग में पंजीकृत दाल मिलों को अन्य राज्यों से खरीदी गई दालों पर मंडी टैक्स से छूट दी जाए। यह मांग इसलिए की गई है ताकि मध्य प्रदेश का दाल उद्योग दूसरे राज्यों से प्रतिस्पर्धा कर सके और टिकाऊ रह सके।
एसोसिएशन ने सुझाव दिया है कि मसूर, चना और उड़द जैसी आवश्यक दालों पर मंडी शुल्क में छूट को राज्य की औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन रणनीति में शामिल किया जाए।
एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया,”राज्य की दाल मिलों को महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से दालें मंगवानी पड़ती हैं। इन पर मंडी टैक्स लगने से न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि हमें दोहरी मंडी फीस चुकानी पड़ती है — एक बार जब दाल मध्य प्रदेश में प्रवेश करती है और दूसरी बार स्थानीय स्तर पर।”
दल मिल मालिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस विषय पर ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि पल्स मिल्स को बढ़ते डीज़ल दाम और महंगे परिवहन खर्चों के चलते अन्य राज्यों से प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो रहा है।
अग्रवाल ने कहा, “छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे पड़ोसी राज्यों में प्रोसेसिंग के लिए खरीदी गई दालों पर कोई मंडी शुल्क नहीं है। मध्य प्रदेश में दालों का स्थानीय उत्पादन सीमित है, जिससे मिलें साल में केवल कुछ महीनों तक ही चल पाती हैं। हमें पूरे साल संचालन बनाए रखने के लिए बाहरी राज्यों से दाल मंगवानी जरूरी है।”
एसोसिएशन के अनुसार, गुजरात और महाराष्ट्र में बाहर से दाल खरीदने पर कोई मार्केट फीस नहीं ली जाती, जिससे वहां का उद्योग ज्यादा सक्षम है। मध्य प्रदेश में इसी नीति को अपनाने से यहां की दाल मिलें भी राहत महसूस करेंगी और राज्य का उद्योग पुनः गति पकड़ सकेगा।